मेरे बाद

मेरे बाद पूछने मत आना

मेरे बाद तमाशा मत बनाना

मेरे बाद आंसूं मत बहाना

की तय है आने वाले का जाना


तय था की तू हमेशा साथ रहेगी

की माँ हमेशा प्यार करेगी

तय था दोस्त का रोज़ घर आना

तय था बचपन को भूल जाना


मेरे बाद ये दुनिया क्या कहेगी?

क्या भाभी माँ के साथ रहेगी?

तय था हमारा एक घर बनाना

तय था ये दिवाली साथ मनाना


मेरे बाद तुझे कौन पूछेगा?

कौन तेरे आंसूं पोंछेगा?

तय था तुझे कंगन दिलाना,

तय था हमारा छुट्टी पे जाना,


मेरे बाद यहाँ कोई और रहेगा,

ये मुश्किल अब कोई और सहेगा,

तय था दिन में सपनों का आना,

तय था रात में बिखर जाना,


जो तय था कुछ भी हो न सका,

पर तय है लोगों का बदल जाना,

मेरे बाद please, तमाशा मत बनाना,

मेरे बाद Please पूछने मत आना,

Please मेरे बाद, आंसूं मत बहाना

की तय है आने वाले का जाना



ये बरस

इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।


ये समुंदर, ये पहाड़, ये धूप किस काम के?

ये सरकार, ये यारियां, ये जायदाद बस नाम के,

अपनों से तो पहले भी नहीं मिलते थे,

अब परायों से भी झगड़ा रुक गया है।

इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।

दुख होता है दूसरों का सुनके,

कई सितारे टूटे चुन चुन के,

ज़माना खराब है ये तो मालूम ही था,

फिर भी बरबादी से दिल दुख गया है।


इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।


दिल तो पहले भी नहीं मिलते थे,

अब तो हाथ मिलाना भी मना है,

लकीरों पे कहां भरोसा था हमें?

अब हाथों से भी उठ गया है।


इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।


साफ साफ क्यूं नहीं कहते हुकुमदारों?

हाथ की सफाई की आदत डाल लो,

चाहे दिया जले, या थाली बजे,

नाकामी से पर्दा उठ गया है।


इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।


बुखार से डर गया, तूफान से लड़ने वाला,

जान की बाज़ी लड़ रहा, जान बचाने वाला,

रक्खो अपना इलाज, हमें सिर्फ जवाब चाहिए,

अब कहां गया दुनिया बनाने वाला?


वक़्त बदलेगा, सब ठीक हो जाएगा,

इंसान का दुश्मन फिर इंसान हो जाएगा,

लेकिन याद आएगा ये बरस,

जहां आकर समय रुक गया है,


इंसान आख़िर झुक गया है

अपने घरों में कहीं छुप गया है।


पिता

 किनारे पे खड़ा हूँ मैं

तुम नदी बन चुके हो

मैं ज़मीन पे डूब रहा हूँ

तुम कहीं बेह चुके हो

इस पानी से अजीब सा

इक रिश्ता बन चुका है

आँखों से बेह रहा है

तुम आंसू बन चुके हो

 चाहे बदलूँ मैं किनारा

मेरा लहू भी तुम्हारा

मैं तुम बन चुका हूँ

तुम ग़ुम हो चुके हो


नदी बन चुके हो

कहीं बेह चुके हो


खंडर

इन खंडरों में कभी महल बस्ते थे,

हमारे शहर में आने को रस्ते थे,

मौका मिला नहीं मरम्मत का वरना,

हमें मिलने को भी लोग तरसते थे,

सच्चाई दफ़न है कहानियों में कहीं,

ये गढ़े मुर्दे भी कभी हस्ते थे,

मरना पड़ता है वाह वाही की खातिर,

जो ढाँचे बच गए, समझो सस्ते थ।

पुरानी कब्रों पे खड़े हैं हमारे घर,

ये मकान अब मज़हारों से कच्चे थे,

अचानक मिलेंगे हम भी खंडरों की तरह,

की हमारे दिन भी कभी अच्छे थे ।

 

घर

आज साहिल पे कई लेहरों को दम तोड़ते देखा है,

कई पत्थरों का दिल तोड़ते देखा है,

लेहरों का घर है समुन्दर,

हमने कई लेहरों को घर छोड़ते देखा है,

 हर लेहेर के मुकद्दर में नहीं,

की पत्थरों से टकरा दे,

मुझे भी लेहेर बना दे,

लौट जाऊं, इस से पेहले टकरा दे,

 पर वो लेहेर ही क्या?

जो लौट के न आये?

उम्मीद दुगनी,

होंसला दुगना,

रेत से मोहब्बत करते देखा है

पत्थरों का दिल तोड़ते देखा है

लेहेर नहीं तो रेत ही बनादे,

किसी के साथ, घर भिजवा दे।

 

लोहड़ी

हर अधूरी सांस अब शोलों को हवा देगी,

खून की आधी बूंद, ग़ुलामी को दवा देगी,

हर अकेली राह, इतिहास को कदम देगी,

हर लड़खड़ाती जंग, आज़ादी को जनम देगी,

 के सिपाही हम पुराने हैं,

सिर्फ नए ये ज़माने हैं,

हमारे बाद भी हम आएंगे,

अभी कई सितम आज़माने हैं,

इरादों को हथ्यार बनाकर,

चिट्ठी घर पे छोड़ी है,

अपनी ही आग में जल जाएंगे,

समझेंगे आज लोहड़ी है,

 जितनी लकड़ी आज जले,

याद रहे बहुत थोड़ी है,

एक एक चिंगारी सँभाल कर,

ये आग हमने जोड़ी है।

 ये आग हमने जोड़ी है।



धोखे

ये लोग जो किसी के न हो सके,

मुझे भी,

अपने जैसा बनाना चाहते हैं


चाहते तो हम भी बहुत कुछ हैं,

फिर भी हमेशा

इनका भला ही चाहते हैं


ये लोग समझते क्यूँ नहीं

की तूफ़ान कहाँ सरसराते हैं?


यूँ तो दिल है हमारा नादान

वर्ना पैंतरे हमें भी आते हैं


चलो दो चार रोज़ के लिए

हम तुम जैसे भी हो जाएंगे

पर बुरा मत मानना मेरे दोस्त

जब पीठ पे खंजर चलाएंगे


तू पुण्य कर girish '

तू दान कर

भले जेब में बारा आने हैं

तू कभी भूखा नहीं मरेगा

अभी कई धोखे खाने हैं

अभी कई धोखे खाने हैं



मैं

अभी जो ख़ामोशी सुनाई दे रही है

दरअसल बुलंद आवाज़ है

कान के परदे फट जाएंगे

मेरी ख़ामोशी में वो राज़ है

माना कमज़ोर हूँ अभी

पर मरा नहीं

आऊंगा तो पूरा

ज़रा ज़रा नहीं

मेरे ना होने का फायदा उठालो

मैं मैं हूँ

तुम्हारी तरह नहीं

ROMANCE

किसीने वादा लिया है मुझ से,

नाता तोड़ने का तुझ से,

मेरी भलाई इसी में है,

सब कहते हैं मुझ से,

साथ छोड़ना किसे पसंद है?

दिल तोड़ना किसे पसंद है?

छोड़ा तो हमें भी बहुतों ने,

फिर भी रहते हैं हसमुख से,

तुझ से तो खूब निभाई है,

अब वादा निभाने की बारी है,

मन तो नहीं है लेकिन,

लोगों को उम्मीदें हैं मुझ से,

तू भी जानती है ख़तम होना था,

जो था, और जो न था,

प्यार फिर भी करते रहेंगे,

कभी तुझ से, कभी खुद से।

प्रिय दुष्यंत

पिघला पर्वत, पीर वहीँ है

थक गयी गंगा, पाप कई हैं

बुनियादों को अब हिलना होगा,

परदे हिलाने का वक़्त नहीं है

कोशिश हमारी भी दुष्यंत यही है,

सूरत वो हो जिसकी सोच नयी है

सन्नाटा तो आवाज़ करेगा ही,

हंगामे की परवाह नहीं है

हर लाश चलेगी जब आग लगेगी

बदला और बदलाव यही है,

तेरा सीना, मेरा सीना,

जो जला सके, तो आग वही है

Break-up

किसीने वादा लिया है मुझसे

नाता तोड़ने का तुझसे

मेरी भलाई इसी में है,

सब कहते हैं मुझसे।

साथ छोड़ना किसे पसंद है ?

दिल तोडना किसे पसंद है ?

छोड़ा है हमें भी कइयों ने ,

कभी सुख से, कभी दुःख से,

तुझसे तो खूब निभाई है ,

अब वादा निभाने की बारी है ,

मन्न तो नहीं है लेकिन ,

लोगों को उम्मीदें हैं मुझसे।

तू भी जानती है ख़त्म होना था,

जो था और जो न था,

प्यार फिर भी करते रहेंगे ,

कभी तुझ से , कभी खुद से।

 These are just a few of the hundreds of poems that I have written.

I love writing hindi poetry and often contribute a lot of poems to my hindi film scripts.